उज्जैन । लोक निर्माण, पर्यावरण तथा उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री सज्जनसिंह वर्मा ने कालिदास अकादमी परिसर स्थित पं.सूर्यनारायण व्यास सभागृह में आयोजित डॉ.शिव शर्मा स्मृति प्रसंग 'शब्दांजलि एवं नाट्यांजलि' के कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर प्रसिद्ध व्यंगकार स्व.श्री शिव शर्मा की स्मृति में उद्बोधन देते हुए प्रभारी मंत्री श्री वर्मा ने कहा कि तप और साधना हमेशा फलदायी होती है। प्रसिद्ध व्यंगकार डॉ.शर्मा की स्मृतियों को हम सब कभी भुला नहीं सकते। जीवन किवदंती बनकर उन्होंने अपना जीवन जीया है। जो व्यक्ति अपने हाथों से अपने जीवन का चित्रण कर सकता है, वह कुछ भी कर सकता है। उन्होंने जीवनभर लोगों को हंसाया है, तभी आज हजारों लोग उनसे जुड़े हैं।
प्रभारी मंत्री श्री सज्जनसिंह वर्मा ने कहा कि स्व.डॉ.शिव शर्मा जीवन्त व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने अपने जीवन के अन्तिम क्षणों तक लोगों को हंसाया। प्रभारी मंत्री ने उनके अनेक प्रसंग सुनाये। उन्होंने कहा कि डॉ.शर्मा के द्वारा टेपा सम्मेलन जो शुरू किया था, वह कभी बन्द नहीं होगा। कार्यक्रम के प्रारम्भ में श्री पिलकेन्द्र अरोरा ने स्व.डॉ.शर्मा के जीवन के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि वे 1979 से टेपा सम्मेलन से जुड़े थे और वे मुझे मानस पुत्र मानते थे। उनका जीवन संघर्ष, समर्पण, साहस और सफलता से जुड़ा हुआ है। उनके द्वारा आयोजित टेपा सम्मेलन के कार्यक्रमों में कई राजनेता, व्यंगकार, कवि, प्रशासनिक अधिकारियों ने भाग लिया है। इसी तरह कार्यक्रमों में कई समाचार-पत्रों के सम्पादकों ने भी भाग लिया है। उन्होंने कहा कि कालिदास परिसर स्थित मुक्ताकाशी मंच का नाम स्व.डॉ.शर्मा के नाम तथा उनके नाम से सृजनपीठ बनाने की मांग की। कार्यक्रम में डॉ.शिव चौरसिया ने भी अपने उद्बोधन में स्व.डॉ.शर्मा के जीवन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वे तीखेपन के व्यंगकार थे। उनके व्यंग की परम्परा हमेशा चलती रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व संभागायुक्त डॉ.मोहन गुप्त ने कहा कि स्व.डॉ.शर्मा कहते थे कि वे नास्तिक हैं। उनका प्रेम बहुत बढ़िया था और ईश्वर के बजाय वे मनुष्यों से ज्यादा प्रेम रखते थे। व्यंग करूणा से दूर नहीं होता है। उन्होंने मनुष्यता को प्रसन्न करने में अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने स्व.डॉ.शिव शर्मा के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर पूर्व विधायक श्री बटुकशंकर जोशी, श्री राजेन्द्र भारती, श्री मनोहर बैरागी, श्री प्रकाश रघुवंशी, श्री जयसिंह दरबार, श्री मनीष शर्मा, श्री आशीष शर्मा, श्री रवि शुक्ला, श्री नरेन्द्र शर्मा, श्री प्रकाश खत्री (ओम अमरनाथ) आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन श्री दिनेश दिग्गज ने किया। कार्यक्रम के अन्त में स्व.डॉ.शर्मा द्वारा लिखी कहानी 'अपना ही श्राद्ध' एकल नाट्य की प्रस्तुति दी गई।
प्रभारी मंत्री श्री वर्मा अशासकीय शाला संगठन द्वारा आयोजित
गुरू सान्दीपनि कार्यक्रम में शामिल हुए
उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री उक्त कार्यक्रम के बाद हनुमान नाका स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल में आयोजित संभागीय अशासकीय शाला संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने अशासकीय शाला संस्थाओं के संचालकों से कहा कि वे छात्रों को अच्छे संस्कार देकर भावी पीढ़ी को तैयार करने में अपनी महती भूमिका अदा करें और राष्ट्र निर्माण में आगे बढ़ायें। छात्रों को अच्छे संस्कार दें और माता-पिता, गुरू का सम्मान करने की सीख दें। उन्होंने कहा कि हमारा प्रदेश महफूज रहे। प्रभारी मंत्री ने कहा कि हमारा प्रदेश अमन-चैन एवं सुख-शान्ति से रहे। जो अशासकीय संस्थाएं देश के भावी पीढ़ी को शिक्षा का दान देकर आगे बढ़ने की राह दिखाती है, वह प्रशंसनीय है। उन्होंने आश्वस्त किया कि उनकी समस्याओं का समय-समय पर हल करने का प्रयास किया जायेगा। इस अवसर पर श्री रवि शुक्ला ने कहा कि उन्हें अशासकीय शाला संगठन का संरक्षक बनाया है। वे इस दायित्व का निर्वहन सबके सहयोग से करने हेतु आश्वस्त किया। स्वागत भाषण दिल्ली पब्लिक स्कूल के संचालक श्री एसएन शर्मा ने दिया और संगठन का संरक्षक श्री रवि शुक्ला को बनाने की घोषणा की। उन्होंने अशासकीय शालाओं के संचालकों की समस्याओं के बारे में भी प्रभारी मंत्री को अवगत कराया। कार्यक्रम में प्रभारी मंत्री श्री सज्जनसिंह वर्मा ने अशासकीय शालाओं के संचालकों को सम्मान-पत्र देकर सम्मानित किया। प्रभारी मंत्री श्री वर्मा ने भारतीय ज्ञानपीठ के संचालक श्री कृष्णमंगलसिंह कुलश्रेष्ठ को सूत की माला पहनाकर सम्मानित किया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने मां वागदेवी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम प्रारम्भ किया। इस अवसर पर श्री रवि शुक्ला, श्री एसएन शर्मा, श्री जयसिंह दरबार, श्री अफसर पटेल, श्री अजीत शुक्ला, श्री गोविन्द गुरू तथा विभिन्न अशासकीय शालाओं के संचालकगण आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन श्री आयाचित ने किया।
तप और साधना फलदायी होती है, डॉ.शर्मा की स्मृति को भुला नहीं सकते - प्रभारी मंत्री