श्रद्धालुओं की मांग हरि से हो हर का मिलन

लॉक डाउन या कर्फ्यू लगाओ पर सवारी परम्परा मार्ग से निकालो



उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की शाही सवारी को लेकर असमंजस का मामला अभी तक बना हुआ है। कोरोना महामारी के चलते इस बार बाबा महाकाल की सवारी परंपरा मार्ग से नही निकालते हुए नए परिवर्तित मार्ग से निकाली जा रही थी। जिसको लेकर पहली सवारी से उज्जैन की आम जनता में प्रशासन के खिलाफ आक्रोश उपजा हुआ है। हाँलाकि प्रशासन ने यह निर्णय लिया था कि पहली दो सवारी परिवर्तित मार्ग से निकाली जाएगी। बाकी अन्य सवारी कोरोना के कम प्रभाव होने पर परम्परा मार्ग से निकली जाएगी। जिसके बाद से सोशल मीडिया पर आम जनता प्रशासन के खिलाफ पुर जोर विरोध किया था।


 


सिंधिया को करना चाहिए गोपाल मन्दिर पर पालकी पूजन


 



 


अब फिर बाबा महाकाल की सवारी को लेकर विवाद और विरोध शुरू हो चुका है। शुक्रवार सुबह ज्योतिरादित्य सिंधिया का उज्जैन दौरे का कार्यक्रम जिला प्रशासन के पास पहुचा। जिसमे सिंधिया रामघाट पर ही बाबा महाकाल की पूजा अर्चना करेंगे। जिसके बाद से सोशल मीडिया पर परिवर्तित मार्ग को लेकर उज्जैन की जनता में आक्रोश पनप चुका है। ऐसे में जनभावना अनुरूप सिंधिया को गोपाल मन्दिर से ही पालकी पूजन करना चाहिये


 


जनता की मांग लॉक डाउन लगा कर निकले सवारी ताकि परम्परा ना टूटे 


 


 


सोशल मीडिया पर चल रहे विरोध में जनता ने ये मान रखी है की लॉक डाउन या कर्फ्यू लाग कर हरि से हर का मिलन हो। जिससे परम्परा ना टूटे और उज्जैन की जनता पर बाबा महाकाल की कृपा बनी रहे। वही कई लोगो का कहना है कि जब तक हरि का हर से मिलन नही होगा तब तक उज्जैन में बारिश नही होगी। इसिलए भी आम जनता की मांग है कि बाबा महाकाल की सवारी परम्परा मार्ग से निकाल कर गोपाल मंदिर पहुचे। जिससे खुश होकर बाबा महाकाल उज्जैन में बारिश सहित कोरोना के प्रकोप का प्रभाव कम हो। 


 


परम्परागत ही हो शाही सवारी मार्ग


 


 


महाकालेश्वर मन्दिर से सवारी बड़ा गणेश, हरसिद्धि मन्दिर के सामने से होकर नृसिंह घाट के निकट झालरिया मठ से होती हुई रामघाट आ रही है। रामघाट पर पालकी पूजन के पश्चात रामानुजकोट से कार्तिक चोक से की गली में ना जाते हुए सीधे दानीगेट से ढाबा रोड, कमरी मार्ग के सामने वाले रास्ते से सीधे गोपाल मंदिर पूजन के बाद गुदरी चोराहा, महाकाल घाटी होते हुए सवारी पुनः मंदिर पहुचे।