अनूठे सम्मेलन में कई सामान्य लोगों ने थामा दिव्यांगजनों का हाथ


उज्जैन। गुरूवार को जिला प्रशासन द्वारा आयोजित दो दिवसीय दिव्यांग विवाह सम्मेलन भव्यता के साथ आयोजित किया गया। सम्मेलन का समापन होने पर आगन्तुक अपने साथ कई अविस्मरणीय यादों का पिटारा साथ ले गये। गौरतलब है कि जोर-शोर से जिला प्रशासन द्वारा दिव्यांग विवाह सम्मेलन की तैयारियां चल रही थीं। ये अपनी तरह का एक अनूठा सम्मेलन था, जिसमें उज्जैन का नाम 122 दिव्यांग जोड़ों का विवाह एक ही स्थल पर करने पर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में तो जोड़ा ही गया, साथ ही इस सम्मेलन में हमारे देश की सभ्यता की प्रतीक गंगा-जमनी तहजीब भी देखने को मिली।
दो दिवसीय दिव्यांग विवाह सम्मेलन का आगाज़ जितना भव्य था, उतना ही भव्य, भावुक कर देने वाला और लम्बे समय तक लोगों के ज़हन में रहने वाला अंजाम सम्मेलन का हुआ है। सम्मेलन में कई सामान्य लोगों द्वारा दिव्यांगजनों को अपना जीवनसाथी चुना गया। इन्होंने यह साबित किया कि जहां सच्चा प्रेम हो, एक-दूसरे के प्रति निस्वार्थ भावना हो, वहां विकलांगता, शारीरिक रंग-रूप कोई मायने नहीं रखता।
समारोह में बड़वानी के रहने वाले 26 वर्षीय युवक कोमल गोले ने जानकारी दी कि वे पैरों से दिव्यांग थे, लेकिन एक साल पहले खंडवा में एक समारोह में उनकी मुलाकात सामान्य युवती अमरूती से हुई। कोमल पेशे से शिक्षक हैं। धीरे-धीरे वे एक-दूसरे को पसन्द करने लगे और उन्होंने विवाह करने का निश्चय लिया। जब अमरूती ने अपने परिवार के लोगों को कोमल के बारे में बताया तो उन्होंने यही कहा कि जहां उनकी बेटी की खुशी है, उसमें ही उन लोगों की भी खुशी है, इसलिये किसी ने विवाह को लेकर किसी प्रकार की आपत्ति नहीं की। जिला प्रशासन द्वारा आयोजित दिव्यांग विवाह सम्मेलन ने कोमल और अमरूती के एक साल पुराने सपने को हकीकत में बदला है।
इसी प्रकार सेवाधाम आश्रम की सामान्य युवती 19 वर्षीय मुस्कान ने अपने जीवनसाथी के रूप में देवास के 30 वर्षीय महेश को पसन्द किया। महेश देवास के पास एक गांव में हेयर कटिंग सलून चलाते हैं। उनके पिता मनोहर ने बताया कि महेश पैर से दिव्यांग है। तीन महीने पहले उज्जैन में आयोजित दिव्यांग परिचय सम्मेलन में उनकी मुलाकात सुधीरभाई गोयल के माध्यम से युवती मुस्कान से हुई थी। मुस्कान ने महेश को पहली ही नजर में पसन्द कर लिया और यह भी साबित किया कि जहां लगाव हो वहां उम्र का बन्धन भी कोई मायने नहीं रखता है।
इस बार का दिव्यांग विवाह सम्मेलन कई मायनों में अलग था। एक खास बात यह रही कि विवाह सम्मेलन में एक बौद्ध धर्म के जोड़े का विवाह भी सम्पन्न कराया गया। देवास के ग्राम बालोदा निवासी 26 वर्षीय अनिल ऐरवाल वर्तमान में पढ़ाई कर रहे हैं। वे एक पैर से दिव्यांग हैं। उनकी शादी उज्जैन नरवर निवासी 20 वर्षीय एक पैर से दिव्यांग अलका से सम्मेलन में हुई। अनिल ने बताया कि उनकी सगाई अलका से तीन साल पहले हो गई थी। अलका भी पढ़ाई कर रही है। अब वे दोनों पढ़ाई के साथ-साथ रोजगार हेतु अपना स्वयं का व्यवसाय भी मिलकर करेंगे।
दिव्यांग विवाह सम्मेलन में मुख्य आकर्षणों में से एक सेल्फी पाइंट भी था, जहां विवाह सम्पन्न होने के बाद कई दिव्यांग जोड़ों ने खुशी-खुशी सेल्फी ली और फोटो सेशन भी कराया। प्रतीकात्मक रूप से एक डोली भी सजाई गई थी, जिसमें परिसर में बारी-बारी से दुल्हनों को बैठाकर फोटो सेशन करवाया गया। कई दिव्यांगजनों के परिवारजनों ने इतनी अच्छी व्यवस्था के लिये प्रशासन का हृदय से आभार व्यक्त किया है। कई ऐसे भी थे, जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर थी। उनका कहना था कि इतने भव्य स्तर पर अपने लड़के और लड़की की शादी करना वह भी तब जब कि वे दिव्यांग थे, उनके लिये एक कभी न पूरा हो सकने वाला सपना था, जिसे गुरूवार 12 मार्च को जिला प्रशासन द्वारा सच में तब्दील किया गया।