महाकाल मन्दिर स्थित कोटितीर्थ कुण्ड की साफ-सफाई एवं रंगाई-पुताई के बाद अब लगने लगा सुन्दर


उज्जैन। श्री महाकालेश्वर मन्दिर परिसर में स्थित कोटितीर्थ की महत्ता भी प्राचीन है। सदियों से पुण्य सलीला शिप्रा एवं मन्दिर परिसर में पावन कोटितीर्थ कुण्ड के जल से भूतभावन भगवान महाकालेश्वर के विशाल ज्योतिर्लिंग का अभिषेक होता आया है। पौराणिक मान्यता है कि अवन्तिका में महाकाल रूप में विचरण करते समय कोटितीर्थ भगवान की कोटि:पांव के अंगूठे से प्रकट हुआ था। मन्दिर में भगवान महाकाल को शिव नवरात्रि में नौ दिन अलग-अलग श्रृंगारों से श्रृंगारित किया जाता है। इस दौरान श्रद्धालुओं को भगवान महाकाल अलग-अलग रूपों में दर्शन देते हैं। शिव नवरात्रि के पूर्व भगवान महाकाल मन्दिर की रंगाई-पुताई की गई है। इससे मन्दिर परिसर स्थित कोटितीर्थ कुण्ड का पानी बदला गया एवं साफ-सफाई कर रंगाई-पुताई की गई। कुण्ड के आसपास बने शिवलिंग मन्दिरों के शिखरों की रंगाई-पुताई की गई। कोटितीर्थ कुण्ड अब सुन्दर एवं मनमोहक लगने लगा है।